भोपाल । मप्र में आगामी बजट की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्य सचिव अनुराग जैन के दिशा निर्देशन में चार दिनों तक सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव एवं सचिव स्तर के अधिकारी मंथन करेंगे। 15 जनवरी को वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के सामने नए बजट का प्रेजेंटेशन पेश करेंगे। सभी विभागों के बजट और महा अभिलेखाकर को पेश किए जाने वाली रिपोर्ट पर भी चर्चा होगी। बजट की तैयारी का जो शेड्यूल तय किया गया है उसके अनुसार 8 जनवरी से विभागवार समीक्षा शुरू होगी, जो 9, 10 और 11 जनवरी को भी जारी रहेगी। हर विभाग को बैठक के लिए औसतन 15 मिनट का समय दिया गया है। इस दौरान संबंधित विभाग को अतिरिक्त बजट मांग के लिए प्रेजेंटेशन भी देना होगा। साथ ही बजट खर्च का ब्यौरा देना होगा। विभागीय बैठकों का सिलसिला 11 जनवरी तक चलेगा। जानकारी के अनुसार साल के पहले ही दिन वित्त विभाग से सभी विभागों के अधिकारियों को पत्र लिखकर बजट पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है। वित्त विभाग के साथ विभागीय अधिकारियों की बैठकों का सिलसिला 8 जनवरी से मंत्रालय में शुरू होने जा रहा है। हर विभाग की अलग से बैठक होगी, जिसमें विभाग प्रमुखों को बजट पर सुझावों के साथ आने को कहा गया है। वित्त विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार बजट बैठकों में विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव एवं सचिव स्तर के अधिकारी शामिल रहेंगे। जिसमें विभाग के पास उपलब्ध मौजूदा बजट की स्थिति, केंद्रीय सहयोग से चलने वाली योजनाओं के लिए बजट की स्थिति एवं आगामी वित्त वर्ष में योजनाओं एवं विभाग पर होने वाले खर्च के अनुमान पर चर्चा होगी।
कमाई बढ़ाने पर भी चर्चा
बजट पर चर्चा के दौरान सामान्य विभाग मांग पर चर्चा करते हैं, लेकिन अब राजस्व लक्ष्य हासिल करने वाले विभाग कमाई बढ़ाने पर भी चर्चा करते हैं। जिसमें वाणिज्यिक कर, आबकारी, परिवहन, राजस्व, नगरीय प्रशासन, ऊर्जा, पर्यटन के अलावा अन्य विभाग भी शामिल हैं। अतिरिक्त कमाई के सुझाव देने वाले विभागों का प्रस्ताव वित्त विभाग के माध्यम से मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली मंत्रियों की बैठक में जाता है। इसके बाद इन प्रस्तावों को मंजूरी मिलती है। पिछली बैठकों में भी सरकार राजस्व प्राप्ति के अतिरिक्त साधनों पर चर्चा कर चुकी है, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है। सभी विभागों के अधिकारी 4 दिन तक बजट पर बैठक करेंगे। इसके बाद वित्त मंत्री की अध्यक्षता में सभी विभागों के मंत्री बजट पर मंथन करेंगे। मुख्यमंत्री भी इस बैठक में मौजूद रह सकते हैं। वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मंत्रियों की बैठक के बाद मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में अलग-अलग समय पर बजट को लेकर बैठकें होंगी, जिनमें मुख्यमंत्री एवं मंत्री सरकार की प्राथमिकता तय करेंगे। इनमें तय होगा कि किस क्षेत्र में करों में कटौती की जाए और कहां-कहां करों में बढ़ोत्तरी की जाए। इसके बाद वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।
विभागवार बैठकों का शेड्यूल
8 जनवरी को वाणिज्यिक कर, खनिज संसाधन, परिवहन, योजना, आर्थिकी एवं सांख्यिकी, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन, प्रवासी भारतीय, पर्यावरण, पर्यटन, विमानन, औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन, संस्कृति, सूक्ष्य लघु एवं मध्यम उद्यम, नगरीय विकास एवं आवास विभाग के बजट पर चर्चा होगी। 9 जनवरी को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार, खेल एवं युवा कल्याण, स्कूल शिक्षा, वन, महिला एवं बाल विकास राजस्व, आनंद, जनसंपर्क और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग। 10 जनवरी को आयुष, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास, घुमंतू एवं अद्र्धघुमंतू जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा, अनुसूचित जाति कल्याण, जनजातीय कार्य, वित्त, मछुला कल्याण तथा मतस्य विभाग, कुटीर एवं उद्योग, सामाजिक न्याय एवं दिव्यांग जनकल्याण, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग। 11 जनवरी को लोक सेवा प्रबंधन, गृह, विधि एवं विधायी कार्य, श्रम, संसदीय कार्य, सामान्य प्रशासन, जेल, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, नर्मदा घाटी विकास, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, जल संसाधन, लोक निर्माण, ऊर्जा, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन एवं डेयरी विकास, सहकारिता, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण और किसान कल्याण एवं कृषि विभाग।
तीन लाख करोड़ से अधिक का बजट
प्रदेश का वर्ष 2024-25 का बजट 3 लाख 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है। 22 हजार करोड़ रुपये के अनुपूरक बजट के माध्यम से भी विभागों को अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराई गई है। इसे देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि वर्ष 2025-26 का बजट चार लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो चार जातियां गरीब, किसान, युवा और महिला, बताई हैं, उसको ही केंद्र में रखा जाएगा। बजट का खाका भी युवा, महिला, गरीब और किसानों के लिए चलाए जाने वाले मिशन को आगे बढ़ाने की दृष्टि से खींचा जा रहा है। सभी विभागों में इन चारों वर्गों के लिए संचालित योजनाओं के लिए आवश्यकता के अनुसार प्रविधान होंगे। बजट में इन्हें अलग से प्रदर्शित भी किया जाएगा और एक विभाग को नोडल बनाया जाएगा। यह ठीक कृषि, चाइल्ड और जेंडर बजट जैसा होगा। इसमें अलग से बताया जाता है कि किस वर्ग के लिए क्या वित्तीय प्रविधान किए गए हैं।
रोजगार बढ़ाने पर फोकस
सूत्रों का कहना है कि बजट में युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम को बढ़ावा देने, स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहन की व्यवस्था के लिए प्रविधान प्रस्तावित किए जाएंगे। किसानों के लिए धान में प्रोत्साहन राशि प्रति हेक्टेयर दो हजार रुपये रखने के साथ प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने, पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए भी राशि रखी जाएगी। इसी तरह महिला और गरीबों के लिए प्रविधान होंगे। 15 जनवरी तक इसका खाका तैयार कर माह के अंत में मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। प्रदेश में लागू किए जाने वाले चार मिशन के लिए पिछले दिनों मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित चिंतन बैठक में युवा, महिला, गरीब और किसानों के लिए संचालित योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया गया। केंद्रीय योजनाओं का शत प्रतिशत क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए बजट में राज्यांश रखा जाएगा। उधर, वित्त विभाग ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि ऐसी योजनाएं, जिनकी प्रकृति एक जैसी है, उन्हें आपस में मिलाने पर विचार किया जाए। साथ ही जिनके लक्ष्य पूरे हो चुके है, उन्हें बंद किया जाएगा।