नई दिल्ली । दिसंबर के पहले दो सप्ताह में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में 22,766 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो एक सकारात्मक संकेत है। पिछले महीनों की तुलना में, नवंबर में भारतीय बाजार से 21,612 करोड़ रुपये और अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये की भारी निकासी की गई थी। इस तरह की यात्रा में अप्रत्याशित ताक़त महसूस हो रही है। एफपीआई का मई के बाद का सबसे बड़ा या करने वाला निवेश का वापसी करने के बाद, हालांकि, विदेशी निवेशकों के निवेश के रुख में थोड़ी उलझन भी दिखाई दे रही है। एफपीआई के 2024 में शेयरों में 7,747 करोड़ रुपये का निवेश इसे दिखाता है कि उनका भविष्य कैसा हो सकता है। विश्लेषण करने वाले इंडिया के एक एसोसिएट निदेशक के अनुसार भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों का प्रवाह कई तथ्यों पर निर्भर करेगा, जैसे कि राष्ट्रपति के नीतियाँ, मुद्रास्फीति और ब्याज दर की स्थिति। ये सभी मुद्दे भारतीय बाजार और निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारतीय कंपनियों के नतीजों और आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर भी नजर रखा जा रहा है, और ये भी भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की धारणा को प्रभावित करेगी। एफपीआई का निवेश साफ़ है कि अमेरिकी बैंक की ब्याज दर में कटौती की उम्मीद के कारण है। इससे मुद्रास्फीति की स्थिति में भी सुधार की संभावना है, जिससे भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशकों का प्रवाह और बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने तरलता बढ़ाने के उपाय अपनाए हैं, जिससे निवेशकों को आत्मविश्वास और स्थायित्व मिला है। उनके अनुसार सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति में भी सुधार का संकेत है, जिससे निवेशकों की उम्मीदों ने वृद्धि की है। समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने बॉन्ड में 4,814 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जबकि उन्होंने स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 666 करोड़ रुपये की निकासी की है। साल भर में, एफपीआई ने बाजार में 1.1 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो एक बड़ा और सकारात्मक चेतावनी है। इस नए स्थिति में भारतीय बाजारों में विदेशी निवेशकों का प्रवाह बढ़ सकता है, और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नया दौर शुरू हो सकता है।
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