नई दिल्ली। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जारी चीन की उग्रता के मध्य शनिवार को महाराष्ट्र के देवलाली में भारत और सिंगापुर की सेनाओं के बीच जारी ‘अग्नि वारियर युद्धाभ्यास-2024’ (एक्सएडब्ल्यू-2024) संपन्न हुआ। यह एक द्विपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास है। जिसका आयोजन दोनों देशों में किया जाता है। इस वर्ष महाराष्ट्र के देवलाली फील्ड फायरिंग रेंज में इसका 13वां संस्करण आयोजित किया गया था। सेना ने बयान जारी कर यह जानकारी दी। युद्धाभ्यास में दोनों सेनाओं ने संयुक्त गोलाबारी योजना और उसके कार्यान्वयन व तोपखाना से जुड़े नई पीढ़ी के उपकरणों का प्रयोग किया। भारतीय सेना से तोपखाना महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार, तोपखाना स्कूल के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एन.एस.सरना और सिंगापुर की सशस्त्र सेनाओं के प्रमुख तोपखाना अधिकारी कर्नल आंग.सी. प्रेंग ने युद्धाभ्यास का जायजा लिया। उन्होंने सैन्यकर्मियों द्वारा प्रदर्शित की गई उच्च-स्तर की व्यावसायिक सूझबूझ और विशेषज्ञता की सराहना की।
अभ्यास में बड़े पैमाने पर संयुक्त तैयारी, समन्वय और एक-दूसरे की क्षमताओं, तोपखाना प्रक्रियाओं की दोनों सेनाओं में बढ़ती समझ को शामिल किया गया। समापन समारोह का उद्देश्य मुख्य रूप से सिंगापुर के सशस्त्र सैन्यकर्मियों को गोलाबारी योजना से जुड़ी जटिलताओं का प्रशिक्षण प्रदान करना था। दोनों सेनाओं ने युद्धाभ्यास में आला दर्जे की तकनीक का प्रयोग करते हुए अपनी अच्छी आदतों का एक-दूसरे से आदान-प्रदान किया। दोनों सेनाओं के इसमें कुल 296 सैन्यकर्मी शामिल हुए। सिंगापुर सशस्त्र बलों का 182 कर्मियों का दस्ता अग्नि वारियर युद्धाभ्यास का हिस्सा बना। जबकि भारतीय सेना की तोपखाना रेजिमेंट के 114 कर्मी इसमें शामिल हुए। सेना ने बताया कि युद्धाभ्यास का उद्देश्य विभिन्न सैन्य आयामों और प्रक्रिया को लेकर आपसी समझ को आसान बनाना था। जिससे दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत एक बहुराष्ट्रीय बल के रूप में एकजुटता और संयुक्तता के लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।
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